विश्व हीमोफीलिया दिवस (World Haemophilia Day) :17 अप्रैल
उद्देश्य :• इस दुर्लभ रोग के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना।
शुरुआत :
• 17 अप्रैल,1989 को वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया (WFH) ने, संस्थापक फ्रैंक श्नाबेल (Frank Schnabel's) के सम्मान में उनके जन्मदिवस को विश्व हीमोफीलिया दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी और 17 अप्रैल,1990 को यह दिवस पहली बार मनाया गया।
क्या है हीमोफीलिया :
• यह एक दुर्लभ आनुवांशिक रक्तस्राव विकार है जिसमें रक्त का थक्का ठीक से नहीं बन पाने के कारण व्यक्ति को चोट लगने पर रक्तस्त्राव (ब्लीडिंग) लम्बे समय तक रुकता नहीं है। ऐसा क्लॉटिंग फैक्टर्स नामक एक प्रोटीन की कमी के कारण होता है। इसके अलावा इसमें आंतरिक रक्तस्त्राव का भी खतरा बना रहता है।
पहचान :
• इस वंशानुगत रोग की पहचान जेनेटिक टेस्टिंग द्वारा की जाती है। हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों के लिए यह टेस्ट काफी विश्वसनीय माना जाता है।
क्या उपचार संभव है ?
• जीन थेरेपी के जरिए इस रोग का ईलाज किया जाता है जिसकी दवा हाल ही में रोगियों पर असरकारक सिद्ध हुई है।
• सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार, "हीमोफीलिया का इलाज मिसिंग ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर को हटाकर किया जा सकता है।" इसके अलावा इसके उपचार में इंजेक्शन का सहारा भी लिया जाता है। यह एक मेडिकल प्रक्रिया है जो डॉक्टरों की विशेष टीम की देखरेख में पूरी होती है।
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